Pollen Allergy

दिल्ली-एनसीआर में मौसम बदलते ही पराग एलर्जी से प्रभावित लोगों की संख्या में तेज़ इजाफा देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, वसंत और गर्मियों की शुरुआत में पेड़ों और घास से निकलने वाले परागकण हवा में फैलते हैं, जो सांस की एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं।

एलर्जी के आम लक्षण

पराग एलर्जी से प्रभावित लोगों में आमतौर पर नाक से पानी आना, आंखों में खुजली, लगातार छींक आना और गले में खराश जैसे लक्षण देखे जाते हैं। कुछ मामलों में यह समस्या खांसी और सीने में जकड़न तक पहुँच सकती है, जिससे अस्थमा के लक्षण भी उभर सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों, बुजुर्गों और पहले से सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों में इसका असर अधिक होता है।

ताज़ा अध्ययन में क्या कहा गया?

हाल ही में दिल्ली में किए गए एक शोध में पाया गया कि फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर के बीच पराग की मात्रा वातावरण में सबसे अधिक होती है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि राजधानी के वातावरण में अमरंथ, आर्टेमिसिया, यूकेलिप्टस और कैनाबिस जैसे पौधों से निकलने वाला पराग प्रमुख एलर्जीजनक तत्व हैं।

जलवायु परिवर्तन से स्थिति और बिगड़ी

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पराग का मौसम लंबा और अधिक तीव्र हो गया है। बढ़ते तापमान और वायु प्रदूषण की वजह से पौधों में पराग उत्पादन अधिक हो रहा है। इससे एलर्जी की आशंका वाले व्यक्तियों पर खतरा कई गुना बढ़ गया है।

कैसे बचें पराग एलर्जी से?

विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार पराग एलर्जी से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनाना बेहद जरूरी है:

सुबह और शाम के समय, जब परागकण अधिक होते हैं, घर के भीतर ही रहें।

बाहर निकलते समय मास्क पहनें और आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा लगाएं।

घर लौटकर हाथ, मुंह और आंखें अच्छी तरह धोएं।

कमरे में एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें और खिड़कियां बंद रखें।

कब लें चिकित्सकीय सलाह?

अगर किसी को बार-बार छींक आ रही हो, नाक लगातार बह रही हो या सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एलर्जी कंट्रोल के लिए एंटीहिस्टामिन दवाएं, नेज़ल स्प्रे और इनहेलर काफी प्रभावी साबित हो सकते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती पराग एलर्जी न सिर्फ एक मौसमी परेशानी है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। बदलती जलवायु और बढ़ते प्रदूषण के बीच इससे निपटने के लिए सतर्कता और सही जानकारी बेहद जरूरी है।

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