ICMR को बेची गई रैपीड टेस्ट कीट मे 145% का मुनाफा | महामारी के दौर मे भी मुनाफाखोरी पर राहुल गांधी ने पीएम से कडी कार्रवाई की मांग की है |

कोविड-19 रैपीड टेस्ट कीट को लेकर अब नया बवाल शुरू हो गया है. पहले इस टेस्ट कीट की गुणवता पर सवाल उठे और अब नया सवाल इसकी खरीद मे हुइ भारी भरकम मुनाफेखोरी को लेकर है. चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि रैपीड टेस्ट किट की खरीद मे 145% मुनाफा वसूला गया है.

इस टेस्ट कीट की लागत मुल्य 245 रू है जबकि आईसीएमआर ने 5 लाख किट का ऑर्डर 600 रू प्रति किट दिया और इस तरह संकट काल मे भारी मुनाफा कमाया गया.

मुनाफाखोरी के इत मामले के प्रकाश मे आते ही कांग्रस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कडी कार्रवाई की मांग की है|

दरअसल चीन से आयातित टेस्ट कीट को लेकर इसके वितरक और आयातक के बीच मुकदमा हो गया और दोनो दिल्ली हाई कोर्ट जा पहुंचे . इसी मुकदमे बाजी मे ICMR को बेची गई किट मे मुनाफेखोरी का बडा खुलासा हुआ. दिल्ली हाई कोर्ट मे जस्टिस नाजमी वजीरी की सिगल बेंच इसका दाम 33 फीसदी घटाकर 400रु मे बेचने को आदेश दिया है. वैसे इस कीमत पर भी वितरक को 61 फीसदी का मुनाफा है जिसे हाई कोर्ट ने प्रयाप्त बताया है. यह मुकदमा रैपिड टेस्ट किट के एकमात्र डिस्ट्रीब्यूटर रेयर मेटाबोलिक्स ने आयातक मैट्रिक्स लैब्स के खिलाफ याचिका दाखिल की थी , मैट्रिक्स लैब ने इस कीट को चीन के वोंडफो बायोटेक से आयातित किया था. विवाद का प्रमुख कारण 2.24 लाख किट आईसाएमआर को स्पलाइ न करना था. मैट्रिक्स लैब की दलील है कि उसे 21 करोड रूपये मे से महज 12.75 करोड का पेमेंट मिला है, एग्रीमेंट के मुताबिक शेष राशी का भुगतान हो. दूसरी ओर रेयर मेटाबोलिक्स ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुये कहा कि उसे शेष 2.24 लाख किट दिलाइ जाये जिससे वह ICMR को अपना एग्रीमेंट पूरा करे. रेयर मेटाबोलिक्स ने कहा कि पेमेंट मिलते ही वह बकाया राशी दे देगी. ICMR  के फंड रोकने की प्रमुख वजह रैपिड टेस्ट किट का मानको पर खरा नही उतरना है.

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