स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, चिकित्साकर्मियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए उनकी पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की जाए: केंद्रीय गृह मंत्री

केन्द्रिय कैबिनेट की बैठक मे फ्रंटलाइन हेल्थवर्कस की सुरक्षा के लिये निर्णय लिया गया और सरकार ने तत्काल इस बाबत अध्यादेश भी जारी कर दिया.

इस फैसले के बारे मे जानकारी देते हुये केन्द्रिय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि महामारी के इस दौर मे देश को बचाने के लिये काम कर रहे फ्रंटलाइन वर्कस पर हमला बर्दास्त नही किया जायेगा.

हेल्थवर्कस की सुरक्षा के लिये सरकार ने एपिडेमिक डिसीस एक्ट 1897 मे बदलाव किया है.

जिसके बाद ऐसे अपराध नौन बेलेबल होगा जिसकी जांच 30 दिनो मे करनी होगी , दोषीयों के खिलाफ 6 महीने से 7 साल तक की सजा का प्रावधान होगा और 1 से 5 लाख तक के आर्थिक डंड का भी प्रावधान किया गया है.

अगर हेल्थकेयर वर्कर की गाडी या प्रोपर्टी डैमेज होती है तो दोषीयों से मार्केट रेट से दोगुनी राशी वसूली जायेगी.

गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशों के तहत, केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, चिकित्सा कर्मियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि उनके खिलाफ हिंसा को रोका जा सके। आदेश में यह भी कहा गया है कि अपनी सेवाओं का निर्वहन करते हुए कोविड संक्रमण से मरने वाले चिकित्सा पेशेवरों या अग्रिम ​पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के अंतिम संस्कार में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को 24 मार्च 2020, 04 अप्रैल 2020 तथा 11 अप्रैल, 2020 को जारी परार्मश में उनसे अनुरोध किया ​था कि वे स्वास्थ्य पेशेवरों, चिकित्सा कर्मचारियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की रक्षा के समुचित इंतजाम कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस परामर्श के बावजूद उक्त स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों / चिकित्सा कर्मचारियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की कुछ घटनाएं सामने आई हैं। इस समय, स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की किसी भी एक घटना से पूरे स्वास्थ्य सेवा समुदाय के बीच असुरक्षा की भावना पैदा होने की संभावना है।

उच्चतम न्यायालय ने 08 अप्रैल, 2020 को जारी अपने आदेश में कहा है कि भारत सरकार, संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों और संबंधित पुलिस अधिकारियों को अस्पतालों और उन स्थानों पर चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मचारियों को आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए जहां कोविड-19 के संदि​ग्ध, या पुष्ट रूप से संक्रमित या क्वारंटीन किए गए मरीज रखे गए हैं। इसके अलावा, न्यायालय ने ऐसे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है जो बीमारी के लक्षणों का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाते हैं।

गृह मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत सभी राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों औेर जिला अधिकारियों से अधिनियम के प्रावधानों, या लागू किसी भी अन्य कानून के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत अधिकृत स्वास्थ्य अधिकारियों, या अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों या संबधित व्यक्तियों को अपनी सेवाएं देने से रोकते हैं।

मंत्रालय ने राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया है कि वे राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों और जिला स्तर पर ऐसे नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जो चिकित्सा पेशेवरों को उनके कामकाज के दौरान सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के निवारण के लिए 24×7 उपलब्ध हों। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि हिंसा की कोई भी घटना होने प र इन अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

इसके अलावा, इन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से निवेदन किया गया है कि वे चिकित्सा बिरादरी तथा आईएम की स्थानीय इकाई के बीच उनके लिए किए गए सुरक्षात्मक उपायों, नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का व्यापक प्रचार करें। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इन उपायों के बारे में आम जनता को भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि इन सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन जमीनी स्तर पर हो सके

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