दिल्ली में अब तक कोरोना से मृत्यु के बाद 2098 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. लेकिन दिल्ली सरकार की मानें तो कोरोना के कारण अब तक 1085 लोग ही मरे हैं. इन दोनों आंकड़ों में 1013 का अंतर है.

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 34,687 पर पहुंच चुका है, वहीं इसके कारण अब तक 1085 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ये आंकड़े दिल्ली सरकार के अनुसार हैं. सरकार की तरफ से हर दिन कोरोना से जुड़े आंकड़ों को हेल्थ बुलेटिन के रूप में जारी किया जाता है. ये आंकड़े एक दिन पहले की रात 12 बजे से बीती रात 12 बजे तक के होते हैं. अभी जो आंकड़े आए हैं, जो 10 जून रात 12 बजे तक के हैं.

10 जून रात 12 बजे तक के आंकड़े

यानी दिल्ली सरकार के अनुसार 10 जून की रात 12 बजे तक 1085 लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन दिल्ली के तीनों नगर निकायों की तरफ से जारी हुआ अंतिम संस्कार का आंकड़ा कुछ और ही कहता है. कोरोना के कारण मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी नगर निकायों की है. दिल्ली में तीनों निकायों के क्षेत्र में अलग अलग श्मशान या कब्रिस्तान में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

तीनों निगम का आंकड़ा

गुरुवार को सिविक सेंटर में तीनों नगर निकायों की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. इस दौरान बताया गया कि अब तक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की तरफ से 1080 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है, वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम का यह आंकड़ा क्रमशः 976 और 42 है. इसमें बताया कि ये आंकड़े सिर्फ उनके हैं, जो कोरोना पॉजिटिव थे, संदिग्ध कोरोना मरीजों की मौत के बाद हुई अंत्येष्टि का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है.

दोनों आंकड़ों में 1013 का अंतर

यानी दिल्ली में अब तक कोरोना से मृत्यु के बाद 2098 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. लेकिन दिल्ली सरकार की मानें तो कोरोना के कारण अब तक 1085 लोग ही मरे हैं. इन दोनों आंकड़ों में 1013 का अंतर है. इसे लेकर सवाल उठने पर दिल्ली सरकार की सफाई सामने आई. सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि कोरोना से होने वाली मृत्यु के आंकलन के लिए दिल्ली सरकार ने वरिष्ठ डॉक्टर्स की एक डेथ ऑडिट कमेटी बनाई है, जो निष्पक्ष तरीके से अपना काम कर रही है. सरकार के इस जवाब में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का भी जिक्र है.

हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार और निगम द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़ों में यह अंतर काफी समय से चला आ रहा है. इसके आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी, जिसमें दिल्ली सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाया गया था. लेकिन कोर्ट ने इससे जुड़ी सुनवाई में उन आरोपों को ख़ारिज कर दिया. सरकार ने इस जवाब में उसका हवाला देते हुए कहा है कि माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कमेटी को सही ठहराते हुए कहा था कि कमेटी के काम करने के तरीके पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.

स्वास्थ्य मंत्री की सफाई

शुक्रवार सुबह जब दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से इसे लेकर सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि कोविड से मौत और कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार अलग अलग बात है. उनका यह भी कहना था कि जिनकी कोरोना से मौत होती है, या जो केवल सस्पेक्ट होते हैं और मर जाते हैं, दोनों का ही अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से होता है. उन्होंने यह भी कहा कि कई बार अस्पताल लेट रिपोर्टिंग करते हैं. अगर एमसीडी के पास डिटेल है, तो हमारे पास भेज दें. उनके पास सिर्फ आंकड़े हैं और डिटेल नहीं है, तो कैसे कह सकते हैं.

डेथ ऑडिट कमेटी करती है समीक्षा

गौरतलब है कि हर दिन कोरोना से होने वाली मौतों की जांच कर उस मौत को प्रमाणित करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक डेथ ऑडिट कमेटी बनाई है. हर अस्पताल को हर दिन शाम पांच बजे तक अपने यहां हुई मौत के मामलों की डेथ समरी डेथ ऑडिट कमेटी के सामने रखनी होती है. प्रतिदिन शाम 5:30 बजे डेथ ऑडिट कमेटी की बैठक होती है, जिसमें अस्पतालों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट्स और डेथ समरी की समीक्षा की जाती है. उसके बाद ही उस दिन कोरोना से होने वाले मौत के आंकड़ों पर मुहर लगती है. कई बार अस्पताल कमेटी तक डेथ समरी ससमय नहीं पहुंचा पाते, जिसके कारण मौत के कई मामले पेंडिंग रह जाते हैं. बीते दिन ही ऐसे 36 मामले सामने आए हैं.

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