बजट में तमाम क्षेत्र को मिले आवंटन का विश्लेषण जारी है. इस बीच सबसे महत्वपूर्ण है यह देखना कि उस स्वास्थ्य क्षेत्र को क्या मिला, जिसकी सबसे ज्यादा अहमियत बीते एक साल में दिखी है. यह माना जा रहा था बीते एक साल के अनुभव के आधार पर मोदी सरकार इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर खास ध्यान देगी. यह उम्मीद कुछ हद तक पूरी होती भी नजर आ रही है. सरकार ने इसबार स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी की है, साथ ही एक नई योजना शुरू की जा रही है.

‘135 फीसदी का इजाफा’

बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि स्वास्थ्य बजट में 135 फीसदी का इजाफा हुआ है और इसे 94 हजार से 2.38 लाख करोड़ किया गया है. बजट के जरिए आज वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि सरकार इस मद में अगले 6 सालों में करीब 61 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी और इसके तहत प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाएगा.

’75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर’

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से अलग नई बीमारियों से निवारण पर भी फोकस करने की बात कही गई है. बजट में वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की है कि देशभर में 75 हजार ग्रामीण हेल्थ सेंटर खोले जाएंगे. इसके अलावा, सभी जिलों में जांच केंद्र और 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल खुलेंगे. 17 नए पब्लिक हेल्थ यूनिट को भी चालू किया जाएगा. साथ ही, नेशलन सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल और इंटिग्रेटेड हेल्थ इंफो पोर्टल को और मजबूत किया जाएगा.

‘कोरोना के मद्देनजर नए लैब’

नेशनल इंस्टीट्यूश ऑफ वर्ल्ड हेल्थ बनाने की भी घोषणा हुई है. कोरोना के मद्देनजर सरकार चार इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और 9 बायो लैब भी बनाएगी. वित्त मंत्री ने कहा कि न्यूटिशन पर फोकस किया जाएगा और जल जीवन मिशन लॉन्च किया जाएगा. साथ ही, 500 अमृत शहरों में सैनिटाइजेशन पर काम होगा और।स्वच्छता पर करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 पर अगले 5 सालों में एक लाख 41 हजार करोड़ के खर्च का लक्ष्य रखा गया है.

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