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पिछले एक साल कोविड क्राइसिस के कारण ज्यादातर स्पेशलिस्ट डिपार्टमेंट में कामकाज प्रभावित रहा और ऐसे में सभी डिपार्टमेंट मरीजों के बोझ तले कराह रहे है और इस माहौल में एम्स परिसर से इतर संसद भवन परिसर में इस तरह की सुविधाओ को देना सभी विभागों के सामान्य कामकाज को प्रभावित करने जैसा होगा।

कोविड से पैदा हुए हेल्थ क्राइसिस से अभी देश उबर नही पाया है और माननीयों को जनता के बदले खुद की पड़ी है। आम आदमी अपने असाध्य और जानलेवा बीमारियों से निजाद पाने के लिये एम्स दिल्ली के दरवाजे पर धक्के खा रहा है. लेकिन हमारे माननीय है की उन्हें अपने डोर स्टेप पर हेल्थ स्क्रीनिंग के लिए एम्स की सारी सुविधाएं चाहिये।

स्वास्थ्य मंत्रालय  के जारी फरमान के मुताबिक दिल्ली स्थित एम्स को संसद भवन परिसर में सांसदों और उनके परिजनों के लिये हेल्थ कैम्प लगाना है। 15 मार्च से 19 मार्च और 22 मार्च से 26 मार्च के बीच लगने वाले इस हेल्थ कैम्प में कार्डियो, न्यूरो, ऑर्थो, गैस्ट्रो, नेफ्रो, पल्मोनरी मेडिसिन, इंडोक्राइन, गायने सहित सभी प्रमुख विभागों के हेल्थ अवेयरनेस कैम्प लगेंगे।

इस कैम्प में सभी विभागों से एक स्पेशलिस्ट और एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को अपनी सेवाएं देनी होगी। यहा सांसदों और उनके परिवार वालो के लिए सभी जरूरी जांच और चिकित्सकीय सहायता मुहैया करायी जायेगी। इस फरमान पर एम्स प्रशासन ने भले ही अमल करना शुरू कर दिया हो लेकिन एम्स के भीतर इस बाबत विरोध के सुर भी मुखर होने लगे है।

एम्स सूत्रों के मुताबिक आम आदमी के लिए जहा ज्यादातर विभागो में महीनों अपॉइंटमेंट मिलना मुश्किल हो रहा है . और समय पर इलाज न मिलने से हजारों लोगों की जान खतरे में है, ऐसे माहौल में इस तरह के VVIP सुविधा माननीयों के लिए मुहैया कराना असंगत और तुगलकी सोंच का परिचय देता है।

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एक तरफ प्रधानमंत्री VVIP कल्चर को खत्म करने की बात करते है और दूसरी तरफ उन्ही के सरकार में माननीयो के लिए आम आदमी के कॉस्ट में vvip हेल्थ कल्चर मुहैया कराया जा रहा है जो कि दोहरे मापदंड का परिचायक है।

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