कट या घाव की सुरक्षा के लिए प्रयोग किए जाने वाले बैंडेज पट्टी कैंसर का कारण बन सकते है, एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है।
आम जीवन में किसी भी तरह के कट, जख्म या घाव पर लोग बैंडेज पट्टी का इस्तेमाल करते है ताकि घाव या कट का एक्सपोजर न हो और जल्दी हील कर जाय। लेकिन इन बैंडेज पट्टियों में पाया जाने वाला एक केमिकल कैंसर का कारण बन सकता है, यह किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। लेकिन हाल के प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन ने बड़ा खुलासा किया है जिसके बाद मेडिकल जगत में हड़कंप मचा हुआ है। इस श्रेणी में बाजार में आसानी से उपलब्ध और पॉपुलर प्रोडक्ट बैंड एड और कुराड भी शामिल है। अध्ययन में पाया गया की इन पट्टीयों में फॉरेवर केमिकल जिसे पीएफएएस के नाम से भी जाना जाता है उसकी पर्याप्त मौजूदगी है। यह चौंकाने वाली जानकारी पर्यावरण और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए काम करने वाले संगठन ममावेशन और एनवायरनमेंटल हेल्थ न्यूज द्वारा किए गए नए अध्ययन में सामने आया है।
बैंडेज पट्टी पर अध्ययन और खुलासा
इस अध्ययन में 18 अलग अलग ब्रांड के 40 बैंडेज लिए गए थे। इनमे 26 सैंपल में फ्लूरिन की मात्रा पाई गई है, जो हानिकारक पीएफएएस का इंडिकेटर है जिसका स्तर 10 पीपीएम है। टेस्ट किए गए 65 फीसदी बैंडेज में पीएफएएस यानी फॉरेवर केमिकल पाया गया है। ऑर्गेनिक केमिकल की यह मात्रा 11 पीपीएम से 328 पीपीएम के बीच है। पीएफएएस जैसे केमिकल की कोई जरूरत इंजरी पार्ट या फिर हीलिंग में नहीं होती है ऐसे में इस केमिकल का स्कीन और ब्लड के संपर्क में आना किसी खतरे से कम नहीं है।
पीएफएएस का इस्तेमाल बैंडेज में क्यों होता है?
ममावेशन के मुताबिक पीएफएएस में वॉटरप्रूफ क्वालिटी होती है जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल बैंडेज में किया जाता है । जबकि इस केमिकल के कई हेल्थ हजार्ड है जिनमे प्रजनन, ग्रोथ, मोटापा और कैंसर जैसी बीमारी शामिल है। पीएफएएस यानी पर एंड पॉलीफ्लूरो अल्काइल सब्सटेंस एक ऐसा पदार्थ है जो हिट, ऑयल, ग्रीस और वॉटर रेजिस्टेंस होता है । इसका उपयोग मुख्यत एडहेसिव, नॉनस्टिक कुकवेयर और फूड पैकेजिंग में किया जाता है।
फॉरेवर केमिकल क्या है?
पीएफएएस केमिकल का निक नेम है फॉरेवर केमिकल क्योंकि ये जल्द समाप्त नहीं होते बल्कि पर्यावरण हो या ह्यूमन बॉडी, लंबे समय तक रह सकते हैं। ये ब्लड स्ट्रीम में डायरेक्ट कॉन्टेक्ट से आसानी से जा सकते है और फिर हेल्दी टिश्यू को डैमेज कर सकते हैं। इस कारण शरीर का कोई भी अंग आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकता है । बैंड एड सहित जिन अन्य ब्रांड का अध्ययन ममावेशन ने किया है इसकी पूरी सूची इस लिंक में देखी जा सकता है।
फैक्ट चेक:क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस हानिकारक केमिकल के दुष्प्रभाव के बारे में जाने माने कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर अंशुमान कुमार का कहना है की इस केमिकल की कोई जरूरत बैंडज पट्टी में नहीं होती क्योंकि यह एंटीसेप्टिक नही है। इसका उपयोग सिर्फ वाटर प्रूफिंग के लिए किया गया। इस केमिकल का इस्तेमाल इंडस्ट्री ने नॉन स्टिक यानी टैफलोन वाले बर्तनों में किया, वाटर रेजिस्टेंस कपड़ो में किया, यहां तक की जिस पैकेज में पिज्जा बर्गर आता है उसमे भी पीएफएएस है। यह फॉरेवर सब्सटेंस इस लिए कहलाता है क्योंकि यह नष्ट नहीं होता , युगों युगों तक रहता है, चाहे मिट्टी में जाए या शरीर में। यह अमेरिका है जो पीएफएएस को हर जगह से निकाल रहा है, प्रतिबंधित कर रहा है लेकिन भारत में तो इसका इस्तेमाल हर जगह देख सकते है चाहे किचन हो या क्लोथिंग, या फिर पिज्जा बर्गर की पैकिंग, यह हमारे दैनिक उपयोग में हर जगह दिख जायेगा। अमेरिका तो बैंड एड जैसी छोटी से छोटी चीज से पीएफएएस को निकाल रहा है लेकिन भारत में तो इसे जीवन के हर हिस्से से निकालना होगा। डॉक्टर अंशुमान के मुताबिक जहां तक बैंडेज में पीएफएएस यानी फॉरेवर केमिकल का सवाल है तो वॉटर प्रूफ बैंडेज का इस्तेमाल न करें। एंटी सेप्टिक का इस्तेमाल किसी भी कट , इंजरी और घाव पर करें और इसे गौज से बांध लें।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल विभिन्न मीडिया रिपोर्ट पर आधारित है और इसका उद्देश्य लोगों को सचेत करना और जागरूक बनाना है न की किसी भी तरह का मेडिकल एडवाइस देना।
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