बढ़ता तापमान, Heat Wave और लू इंसानी सेहत पर खतरे के बादल की तरह मंडरा रहा है। इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ सकती है। एनसीडीसी यानी राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है जिसमे कहा गया है की बढ़ता तापमान सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान 40 से 45 डिग्री बना रहे तो हृदय रोगियों के मौत के मामले 2.6 फीसदी तक बढ़ सकता है। 40 डिग्री से ज्यादा का तापमान दिल और दिमाग के अलावा आंत,किडनी,फेफड़े और पैंक्रियाज के अलावा लिवर सेल्स को भी प्रभावित करते हैं, उन्हे नष्ट करने की ताकत रखते हैं। जो व्यक्ति लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे की डायबिटीज, ब्लड प्रेशर से पीड़ित है उसमे मौत का खतरा और बढ़ जाता है।
बढ़ता तापमान और वाइटल ऑर्गन (Vital Organs) पर असर
मानव शरीर का तापमान 36.4 डिग्री से 37.2 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। जब बाहरी तापमान (Rising Temperature) इससे ज्यादा होने लगता है तो एक हद तक शरीर पसीने को छोड़कर तापमान नियंत्रित करता रहता है। लेकिन जब पारा हद से ज्यादा चला जाए 45 डिग्री पार कर जाते तो शरीर के तापमान नियंत्रण क्षमता पर यह भारी पड़ने लगता है। इससे पहले हुए कई शोध में गर्मी की वजह से बेहोशी, चक्कर, आंखो में जलन सहित कई अन्य परेशानियों के बारे में व्यापक अध्ययन किया गया। लेकिन अब नई स्टडी शरीर के वाइटल आर्गन और जानलेवा प्रभाव के बारे में कई नए खुलासे कर रही है।
ब्लड क्लोटिंग का खतरा
इस स्टडी के मुताबिक 40 डिग्री सेल्सियस से जैसे जैसे तापमान ऊपर जाता है बीमार व्यक्ति की नसों में ब्लड क्लोटिंग का खतरा बढ़ जाता है।
शरीर की पतली नसों में ब्लड क्लोटिंग की प्रक्रिया दिल , दिमाग, लिवर , फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण अंग के लिए घातक बन सकता है। ऐसी क्लोटिंग ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण बन जाती है जिससे प्रभावित व्यक्ति के मृत्यु का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर यह सलाह देते हैं की तेज धूप में न निकलें और अगर मजबूरन निकलना पड़े तो छाता जरूर लें, साथ ही बॉडी को डिहाइड्रेट न होने दें।
तापमान का दिल और दिमाग पर प्रभाव
स्टडी के मुताबिक गर्मी का सर्वाधिक प्रभाव इंसानी दिमाग पर पड़ता है। बढ़ता तापमान हीट स्ट्रेस और हीट स्ट्रोक का कारण बन जाता है। दिमाग के बाद बढ़ते तापमान का असर होता है हृदय, किडनी, लिवर, आंत और पेंक्रियाज पर। जब तापमान के मुताबिक शरीर की कोशिकाएं खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती तो ऐसी स्थिति को हीट साइटोटॉक्सिटी कहा जाता है। इसकी वजह से शरीर के वाइटल ऑर्गन डैमेज होने लगते हैं। कोई वाइटल ऑर्गन ज्यादा डैमेज हो या फिर क्लोटिंग हो तो मौत का खतरा बढ़ जाता है ।
लक्षण को पहचाने और सावधान रहें
अगर तेज गर्मी के हालात ने सिरदर्द, चक्कर, भटकाव, भ्रम, चिड़चिड़ापन, त्वचा के रंग में बदलाव, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन, दौरा, कोमा जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल प्रभाव से मेडिकल हेल्प लें, यह इमरजेंसी की स्थिति हो सकती है।
बच्चों में लक्षण के बारे में स्टडी कहती है की वे भोजन को मना करने लगें, पेशाब न आए, सुस्ती हो, आंखो में सूजन दिखे या भी दौरे आने लगे तो तुरत मेडिकल इमरजेंसी को समझा जाना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी और जागरूकता के लिए है, किसी भी मेडिकल कंडीशन के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें
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