Tuberculosis

भारत का लक्ष्य टीबी ( Tuberculosis) के बोझ को तेजी से कम करना और 2025 तक देश से टीबी को समाप्त करने की दिशा में काम करना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रयास अभी सफल होता नहीं दिख रहा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) प्रोटोकॉल को फिर से तैयार करने पर विचार कर रही है, जिसमें विशेष रूप से टीबी की दवाएं और उनकी अवधि शामिल है, ताकि शून्य मृत्यु दर, रोग और गरीबी के साथ टीबी-मुक्त पहल को पुनः आरंभ किया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत पिछले 50 वर्षों से Tuberculosis नियंत्रण गतिविधियों में लगा हुआ है, फिर भी यह बीमारी देश का सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट बनी हुई है।

टीबी हर साल अनुमानित 480,000 भारतीयों की जान लेता है, जो प्रतिदिन 1,400 से अधिक मरीजों के बराबर है। इसके अतिरिक्त, देश में हर साल एक मिलियन से अधिक ‘लापता’ टीबी मामले होते हैं, जो सूचित नहीं होते हैं। इनमें से अधिकांश या तो निदान नहीं होते हैं, या निजी क्षेत्र में अनुचित और अपर्याप्त निदान और उपचार के कारण गुमनाम रहते हैं।

‘2025 तक भारत में Tuberculosis उन्मूलन: एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण’ बताता है कि विशेष रूप से भारत को टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 2021 में अनुमानित 2.64 मिलियन मामलों के साथ, भारत दुनिया के कुल टीबी बोझ का लगभग 25% है। एचआईवी-संक्रमित व्यक्तियों को छोड़कर, उसी वर्ष मृत्यु दर लगभग 450,000 थी, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर टीबी के गंभीर प्रभाव को दर्शाता है। भारत में टीबी की जटिलता और भी बढ़ जाती है जैसे कि दवा प्रतिरोध, एचआईवी के साथ सह-संक्रमण, सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां, और स्वास्थ्य सेवा पहुंच में असमानताएं। इसके जवाब में, भारतीय सरकार ने 2025 तक टीबी को समाप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

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