Prostate Cancer

वैश्विक स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बेहद अहम चेतावनी सामने आई है। दुनिया की अग्रणी मेडिकल जर्नल द लांसेट ने अपनी हालिया रिपोर्ट में प्रोस्टेट कैंसर को पुरुषों के लिए एक “खामोश महामारी” करार दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले वर्षों में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में न केवल तेज़ वृद्धि होगी, बल्कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकती है।

चिंता क्यों बढ़ रही है?

द लांसेट कमिशन ऑन प्रोस्टेट कैंसर की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में दुनिया भर में प्रोस्टेट कैंसर के करीब 14 लाख नए मामले दर्ज किए गए थे, और 2040 तक यह संख्या 25 लाख तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मृत्यु दर में भी 85% तक की वृद्धि हो सकती है।

रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि प्रोस्टेट कैंसर की पहचान अक्सर देर से होती है। चूंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत साधारण और धीमे होते हैं—जैसे बार-बार पेशाब आना, रात में बार-बार उठना, पेशाब में जलन या कमजोरी महसूस होना—लोग इन्हें उम्र का सामान्य असर मानकर अनदेखा कर देते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, जागरूकता की कमी, सामाजिक हिचकिचाहट और नियमित जांच की उपेक्षा इस बीमारी को और घातक बना देती है।

प्रोस्टेट कैंसर के प्रमुख कारण:

  1. उम्र और उम्र से जुड़ी जैविक प्रक्रियाएं:
    50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में यह कैंसर सबसे ज्यादा देखा जाता है। उम्र के साथ शरीर में कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में बदलाव और हार्मोनल असंतुलन इसका कारण बनते हैं।
  2. वंशानुगत जोखिम:
    यदि पिता या भाई को यह बीमारी हो चुकी है, तो अगली पीढ़ी में इसका खतरा दोगुना हो सकता है।
  3. अस्वस्थ जीवनशैली:
    आधुनिक जीवनशैली—फास्ट फूड, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, धूम्रपान और शराब का सेवन—भी प्रोस्टेट कैंसर की संभावना बढ़ाते हैं।
  4. हार्मोनल कारक:
    टेस्टोस्टेरोन जैसे पुरुष हार्मोन का असंतुलन प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं को असामान्य रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

क्या है इससे बचाव का रास्ता?

  1. नियमित स्क्रीनिंग:
    50 साल की उम्र के बाद हर पुरुष को सालाना PSA (Prostate-Specific Antigen) टेस्ट कराना चाहिए। जिनके परिवार में यह बीमारी रही हो, उन्हें 45 की उम्र से ही जांच शुरू कर देनी चाहिए।
  2. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
    ताजे फल, सब्ज़ियां, फाइबरयुक्त भोजन, कम वसा और नमक का सेवन, नियमित व्यायाम और मानसिक तनाव को नियंत्रित करना कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।
  3. लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें:
    बार-बार पेशाब आना, पेशाब रुक-रुक कर आना, या कमर और जांघों में दर्द जैसे लक्षणों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें।
  4. समय पर इलाज:
    शुरुआती चरण में पकड़ा गया प्रोस्टेट कैंसर इलाज योग्य होता है—रेडियोथेरेपी, सर्जरी या हार्मोन थेरेपी के जरिए इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

भारत में बढ़ता खतरा

भारत में अब तक प्रोस्टेट कैंसर को बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन अब आंकड़े डराने लगे हैं। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, यह शहरी पुरुषों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले कैंसर में शामिल हो चुका है।

ग्रामीण भारत में स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां जांच सुविधाओं और जागरूकता की भारी कमी है। वहां के मरीज अक्सर अंतिम चरण में अस्पताल पहुंचते हैं, जब इलाज बेहद कठिन हो जाता है।

समय रहते चेतना ज़रूरी है।लांसेट की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है—अब आंखें मूंदने का वक्त नहीं रहा। प्रोस्टेट कैंसर के खामोश लक्षणों को समझना, समय पर जांच कराना और समाज में खुलकर चर्चा करना ही इससे लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है।

पुरुषों को अपनी सेहत को लेकर उतना ही सजग होना होगा, जितना वे अपने परिवार या काम के प्रति होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर अब केवल चिकित्सा का मुद्दा नहीं, यह सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य की चेतावनी भी है।

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