मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एक फर्जी डॉक्टर ने खुद को ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मिशनरी अस्पताल में कार्यरत था और वह धड्डले से हार्ट सर्जरी भी कर रहा था, जिनमें अब तक 7 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है। इस घटना से जिला प्रशासन, मानवाधिकार आयोग और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद को लंदन के प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम के रूप में प्रस्तुत किया। अस्पताल में उसकी नियुक्ति जाली दस्तावेजों के आधार पर की गई थी। सूत्रों के अनुसार, आरोपी ने अब तक 15 से अधिक हार्ट सर्जरी की थीं, जिनमें से 7 मरीजों की जान चली गई।
दमोह बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी के अनुसार, असली मौतों की संख्या इससे अधिक हो सकती है। उन्होंने बताया कि कुछ परिजनों को जब सर्जरी के बाद हालत बिगड़ती दिखी तो वे मरीजों को जबलपुर ले गए, जहां धोखाधड़ी का खुलासा हुआ।
घटना की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया कि अस्पताल को आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी सहायता मिल रही थी, और इस स्तर की लापरवाही गंभीर अपराध है।
दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा कि अस्पताल के सभी दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं और विस्तृत जांच की जा रही है। वहीं पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने बताया कि आरोपी की तलाश के लिए प्रदेशव्यापी सर्च अभियान शुरू कर दिया गया है।
गौरतलब है कि आरोपी के खिलाफ पहले से ही हैदराबाद में एक आपराधिक मामला दर्ज है, जो उसके आपराधिक इतिहास को और स्पष्ट करता है।
यह घटना न केवल प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि डॉक्टरों की नियुक्ति और प्रमाणिकता की जांच प्रणाली में गंभीर खामियां हैं। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नई प्रक्रियाएं लागू की जाएंगी।
Comments