गर्मियों का मौसम आमतौर पर फ्लू और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से राहत का समय माना जाता है। लेकिन हैरानी की बात है कि इन दिनों दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग छींक, खांसी, नाक बहने और आंखों में जलन जैसी समस्याओं को लेकर डॉक्टरों से संपर्क कर रहे हैं।
दिल्ली के डॉक्टरों का दावा:
राजधानी के कई अस्पतालों और क्लीनिक्स में प्रतिदिन 50 से 60 मरीज इस तरह की एलर्जिक परेशानियों को लेकर पहुंच रहे हैं। अपोलो हॉस्पिटल के एक वरिष्ठ एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. नितिन मित्तल के अनुसार, “हर दिन मेरे पास लगभग 55-60 मरीज इसी शिकायत के साथ आते हैं, और इनमें से ज़्यादातर को लगता है कि उन्हें फ्लू है, लेकिन असल में वे एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं।”
क्या है एलर्जिक राइनाइटिस और क्यों हो रही है ये समस्या गर्मियों में?
एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की नाक एलर्जन के संपर्क में आने से अतिसंवेदनशील हो जाती है। आमतौर पर यह समस्या वसंत ऋतु या सर्दियों में अधिक होती है, लेकिन अब गर्मियों में भी यह बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसके पीछे का कारण हवा में मौजूद परागकण (pollen), धूल, धूल के कणों में मौजूद डस्ट माइट्स, पालतू जानवरों के रोएं, मोल्ड और प्रदूषण हैं।
डॉ. मित्तल बताते हैं: “गर्मी के मौसम में तापमान तो बढ़ता है लेकिन साथ ही हवा में उड़ते परागकण और प्रदूषक तत्व भी शरीर को परेशान करते हैं। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है या जिनमें पहले से एलर्जिक प्रवृत्ति होती है, उनके लिए यह मौसम और अधिक खतरनाक हो सकता है।”
गर्मी में एलर्जी के मुख्य कारण:
- परागकण (Pollen): फूलों और पेड़ों से निकलने वाले सूक्ष्म कण हवा में फैलते हैं और सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर एलर्जी पैदा करते हैं।
- धूल और डस्ट माइट्स: खासकर एसी वाले कमरों में धूल और बारीक डस्ट माइट्स छिपे रहते हैं, जो नाक और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
- मोल्ड (फफूंद): बाथरूम या नमी वाली जगहों में फफूंद पनपती है और इससे भी एलर्जी हो सकती है।
- पालतू जानवरों के रोएं: कुत्ते-बिल्ली जैसे पालतू जानवरों के बाल भी कुछ लोगों में एलर्जी ट्रिगर करते हैं।
- तनाव और खानपान: मानसिक तनाव और कुछ फूड एलर्जन्स (जैसे मूंगफली, दूध, अंडा आदि) भी एलर्जिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ा सकते हैं।
लक्षणों को हल्के में न लें
एलर्जिक राइनाइटिस के प्रमुख लक्षणों में लगातार छींक आना, नाक का बहना या बंद हो जाना, आंखों में खुजली और पानी आना, खांसी, गले में खराश और थकान शामिल हैं। कुछ मामलों में यह समस्या अस्थमा या साइनसाइटिस में भी बदल सकती है।
डॉ. मित्तल बताते हैं कि “लोग अक्सर इसे मामूली समझकर मेडिकल सलाह नहीं लेते, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।”
क्या है समाधान? एलर्जी से कैसे बचें?
- एलर्जन की पहचान: एलर्जी टेस्ट (Skin Prick Test या IgE Blood Test) से यह पता लगाया जा सकता है कि किस पदार्थ से आपको एलर्जी हो रही है।
- ट्रिगर से बचाव: एलर्जन की पहचान के बाद उससे दूरी बनाना सबसे जरूरी कदम है। घर की सफाई, पालतू जानवरों से दूरी, और पौधों से परहेज मददगार हो सकते हैं।
- डॉक्टर की सलाह से दवा: एंटीहिस्टामीन, नेज़ल स्प्रे और कुछ मामलों में इम्युनोथेरेपी (एलर्जी वैक्सीन) का सहारा लिया जा सकता है।
- जीवनशैली में बदलाव: एसी की सफाई, नमी से बचाव, साफ बिस्तर और तकिए, घर में ह्यूमिडिटी कंट्रोल जैसे उपाय फायदेमंद हो सकते हैं।
एलर्जी अब केवल सर्दियों या बदलते मौसम की बीमारी नहीं रही। गर्मियों में भी इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। छींक, खांसी, या नाक बहने जैसे लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर बढ़ा सकता है। ऐसे में सही समय पर चिकित्सकीय सलाह और सावधानी ही आपकी सेहत की रक्षा कर सकती है।
स्रोत: The Economic Times |
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