दिल्ली की कोरोना से लड़ाई का नेतृत्व भले सरकार के हाथ में हो, लेकिन इसके लिए फ्रंट पर खड़े हैं, मेडिकल स्टाफ. इनमें वो नर्सिंग स्टाफ भी शामिल हैं, जो जान जोखिम में डालकर लगातार ड्यूटी कर रहे हैं, कोरोना की ड्यूटी के दौरान इनमें से कई को जान भी गंवानी पड़ी. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ्स में से एक बड़ी संख्या उनकी है, जो संविदा पर काम कर रहे हैं. इनका कॉन्ट्रैक्ट हर साल रिन्यू होता है और ये अपनी ड्यूटी करते रहते हैं.

करीब पांच हजार हैं संविदा कर्मी

लेकिन अभी दिल्ली ही नहीं पूरा देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा है और इसके कारण आम लोगों की जीविका सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. ऐसे समय में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक ऐसा फैसला किया है, जिसने जान जोखिम में डालकर कोरोना की ड्यूटी में लगे हजारों नर्सिंग स्टाफ्स के सामने नौकरी का संकट खड़ा कर दिया है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में करीब पांच हजार नर्सिंग स्टाफ और पैरेमेडिकल स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत हैं.

20 साल से कर रहे काम

इनमें से बड़ी संख्या उन नर्सिंग स्टाफ्स की है, जिनका कॉन्ट्रैक्ट हर साल फरवरी या दिसम्बर में रिन्यू होता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. केजरीवाल सरकार ने इनकी सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया है और इसे लेकर डोजियर भी जारी कर दिया गया है. इसके अनुसार, 31 दिसम्बर 2020 तक ही ये काम कर सकेंगे. आपको बता दें कि इनमें से ज्यादातर नर्सिंग स्टाफ करीब 20 साल से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में काम कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार के एक फैसले ने इन्हें दोराहे पर खड़ा कर दिया है.

स्ट्राइक पर जाने का विचार

इनमें से एक नर्सिंग स्टाफ ने मेडलार्ज से अपनी व्यथा साझा की. उन्होंने कहा कि हमने इतने दिनों तक पूरी ईमानदारी से सेवा की, लेकिन हमारा एरियर देने के बजाय अब उल्टा हमें बाहर किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि दिल्ली स्टेट हेल्थ सर्विसेज कॉंट्रेक्चुअल एम्प्लॉइज यूनियन अब विचार कर रहा है कि हम स्ट्राइक करेंगे, क्योंकि हमारे सामने कोई और चारा नहीं बचा. हम सरकार तक अपनी मांगें पहुंचाना चाहते हैं.

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