योग गुरु बाबा रामदेव एवं बालकृष्ण

भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव को एक बार फिर माफी नहीं मिली, 23 अप्रैल को फिर होगी सुप्रीम कोर्ट में पेशी

भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट ने फिर राहत देने से इंकार किया। पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना पर सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को फिर से पेश होने के लिए कहा है। योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण को उम्मीद थी की आज सुप्रीम कोर्ट में राहत मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मामला कोरोना के इलाज को लेकर दावे और भ्रामक विज्ञापन से संबंधित है।

आज कोर्ट में क्या हुआ?

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा की जो कुछ आपने किया क्या उसके लिए आपको माफी दें? इस पर बाबा रामदेव ने कहा जो भी हमसे भूल हुई है उसके लिए हमने बिना शर्त माफी मांगी है। लेकिन इसपे अदालत ने कहा की आपने प्रेस कांफ्रेंस की और विज्ञापन दिए। अदालत ने रामदेव से कहा की अभी आपको माफी नहीं दी गई है, इस पर अभी सोचा जायेगा। इसपे बाबा रामदेव ने कहा की ऐसी पुनरावृति नहीं होगी । इसपे अदालत ने कहा की आपने एक नही बल्कि तीन बार उल्लंघन किया है, हमने मन नहीं बनाया की आपको माफ करें या नहीं। रामदेव ने कहा की हम इसे नही दुहरायेंगे।

लाइलाज बीमारियों के लिए दवा की पब्लिसिटी वर्जित

अदालत ने कहा की कोर्ट के आदेश के बावजूद आपने विज्ञापन छापा और अपने स्पीच में कहा की महर्षि चरक के समय से आयुर्वेद चला आ रहा है। आपने अपने पद्धति के आगे दूसरे पद्धति को रद्द करने की बात क्यों कही? इसका जवाब देते हुए रामदेव ने कहा की हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। हमने 5000 से ज्यादा रिसर्च किए । आयुर्वेद में हमने मेडिसिन के लेवल का रिसर्च किया। इसपे जज ने कहा की हमारा सवाल आपके रवैए पर है और इसलिए आपको बुलाया गया है। आपने हमारे आदेश की अवहेलना की है और दुसरे दवाओं को खराब बताया है। लाइलाज बीमारियों के लिए दवाओं की पब्लिसिटी नहीं की जा सकती। इसपर रामदेव ने कहा की हमे ये नही करना चाहिए था, आगे से ध्यान रखेंगे। इसपे कोर्ट ने कहा की आपके गैर जिम्मेदाराना हरकत की है। कोर्ट ने दोनो को आगे बुलाते हुए कहा की आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है आपकी बहुत गरिमा है। ये आप भी जानते है और हम भी जानते है की आपने जो शुरू किया वह कारोबार है।

पिछले हफ्ते भी रामदेव को राहत नहीं मिली थी

सुप्रीम कोर्ट में पिछले हफ्ते भी रामदेव को माफी नहीं मिली थी और पतंजलि के संस्थापकों को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को भी फटकार लगाई थी।

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